राजस्थान सरकार ने बेटियों के जन्म को उत्सव में बदलते हुए लाडो प्रोत्साहन योजना 2025 की शुरुआत की है। अब राज्य में एक अगस्त 2024 के बाद जन्म लेने वाली प्रत्येक बालिका को सरकार की ओर से ₹1.5 लाख की आर्थिक सहायता दी जा रही है। इस सहायता राशि को 7 किस्तों में सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में भेजा जा रहा है, जिससे पारदर्शिता और समयबद्धता सुनिश्चित हो सके।
मुख्यमंत्री ने राशि बढ़ाकर किया ₹1.5 लाख, पहले थी ₹1 लाख
पहले इस योजना के तहत कुल सहायता राशि ₹1 लाख तय की गई थी। लेकिन 12 मार्च 2025 को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस राशि को बढ़ाकर ₹1.5 लाख कर दिया। इसके बाद से योजना को पूरे प्रदेश में प्रभावी रूप से लागू किया गया है। लाडो योजना का क्रियान्वयन 1 अगस्त 2024 से शुरू हुआ और तब से अब तक हजारों बेटियों को इसका लाभ मिल चुका है।
सात चरणों में मिल रही है योजना की वित्तीय सहायता
लाडो योजना के तहत सहायता राशि सात चरणों में प्रदान की जाती है। पहली किश्त बेटी के जन्म पर ₹2500 की दी जाती है। एक वर्ष की आयु और टीकाकरण पूरा होने के बाद दूसरी किश्त ₹2500 मिलती है। तीसरी किश्त पहली कक्षा में प्रवेश पर ₹4000 की है। चौथी किश्त छठी कक्षा में दाखिले पर ₹5000 दी जाती है। इसके बाद दसवीं कक्षा में ₹11000, बारहवीं में ₹25000 और अंत में 21 वर्ष की आयु पूरी करने व स्नातक की पढ़ाई पूरी करने पर ₹1 लाख की राशि सीधे बेटी के खाते में ट्रांसफर की जाती है।
बेटियों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान को सुनिश्चित करता है यह अभियान
इस योजना का मूल उद्देश्य बेटियों को जन्म से लेकर उच्च शिक्षा तक आर्थिक सहारा देना है, ताकि उन्हें स्कूल छोड़ने, बाल विवाह और लिंगभेद जैसी समस्याओं का सामना न करना पड़े। सरकार चाहती है कि बेटी के जन्म को उत्सव के रूप में मनाया जाए और परिवार उसे समान अवसरों के साथ बड़ा करें। योजना सामाजिक सोच को बदलने की दिशा में भी एक मजबूत पहल है।
किन बेटियों को मिल सकता है योजना का लाभ?
लाडो योजना का लाभ उन्हें ही मिलेगा जिनका जन्म 1 जून 2016 के बाद हुआ है और जो राजस्थान की मूल निवासी हैं। बालिका का जन्म किसी JSY पंजीकृत सरकारी या निजी अस्पताल में होना चाहिए। इसके साथ यह भी शर्त है कि एक परिवार को अधिकतम दो बेटियों तक इस योजना का लाभ मिलेगा। माता-पिता के पास आधार कार्ड और भामाशाह कार्ड का होना अनिवार्य है।
आवेदन की प्रक्रिया सरकार ने की सरल और डिजिटल
इस योजना के तहत आवेदन प्रक्रिया को जमीनी स्तर पर आंगनबाड़ी और आशा कार्यकर्ताओं के माध्यम से संचालित किया जा रहा है। गर्भवती महिला की जानकारी अस्पताल द्वारा RCH रजिस्टर और PCTS पोर्टल पर दर्ज की जाती है। यदि परिवार के पास भामाशाह कार्ड नहीं है, तो उन्हें नजदीकी ई-मित्र केंद्र से बनवाना होता है। दस्तावेजों की पुष्टि और सत्यापन के बाद पात्र लाभार्थियों को किश्तों में राशि प्रदान की जाती है।